ओनली विमल: एक नाम जिसने बदल दिया भारत का कपड़ा कारोबार

धीरूभाई अंबानी की कहानी भारत के व्यापार इतिहास में बहुत अलग है। उन्होंने एक सपना साकार किया और एक कंपनी भी बनाई। “ओनली विमल” ने ब्रांड बनाया जिसका नाम हर जगह गूंजता था। यह ब्रांड एक विचार था, न कि एक व्यक्ति— भरोसे और परिश्रम की कहानी।

धीरूभाई अंबानी की शुरुआत

धीरूभाई अंबानी जब छोटे थे, तो गुजरात के एक छोटे से गांव से काम की तलाश में यमन चले गए। वहीं उन्होंने व्यापार के नियमों को समझा। लेकिन दिल हमेशा भारत की ओर था। जब वे वापस आए, वे भारत को आर्थिक रूप से विकसित करने का बड़ा लक्ष्य लेकर आए थे।

1958 में, उन्होंने अपने चचेरे भाई चंपकलाल दमानी के साथ “मजीन” नामक कंपनी की स्थापना की। पॉलिएस्टर धागे और मसालों को यह कंपनी आयात करती थी। कुछ समय बाद दोनों ने अलग-अलग रास्ता चुना और धीरूभाई ने रिलायंस टेक्सटाइल्स की शुरुआत की।

“ओनली विमल” शुरू हुआ कैसे?

धीरूभाई अंबानी ने टेक्सटाइल उद्योग में प्रवेश किया, तो भारत में पॉलिएस्टर कपड़े का चलन अभी शुरू ही हुआ था। यह कपड़ा हल्का, टिकाऊ और सुंदर दिखने वाला था, उन्होंने देखा। गुणवत्तापूर्ण उत्पाद लोगों को चाहिए, लेकिन उपलब्ध नहीं हैं।

यहीं से उन्होंने एक नया विचार विकसित किया: एक ब्रांड जो लोगों को आधुनिक और भरोसेमंद कपड़े देगा। उनकी कंपनी ने “विमल” नामक टेक्सटाइल बनाया।

उन्होंने अपने बड़े भाई रामनिकालाल अंबानी के बेटे विमल अंबानी को अपना नाम दिया। उन्होंने देश भर में एक पारिवारिक नाम बनाया।

नरोदा से उड़ान

धीरूभाई ने अहमदाबाद के नरोदा में अपना पहला टेक्सटाइल प्लांट लगाया। वहीं से “विमल सूटिंग्स और शर्टिंग्स” बनाने की शुरुआत हुई।

धीरूभाई हर वीकेंड मुंबई से अहमदाबाद आते हैं, जहां वे फैक्ट्री का निरीक्षण करते हैं और कर्मचारियों से खुद बातचीत करते हैं। उन्हें पता था कि लोगों के साथ जुड़ाव, मशीनों से अधिक महत्वपूर्ण है।

सामने आई चुनौती

पुरानी टेक्सटाइल कंपनियों को “विमल” बाजार में आने का खतरा महसूस हुआ। उन्होंने अपने डीलरों को बताया कि अगर वे रिलायंस से कपड़ा खरीदेंगे, तो उन्हें फिर से सामान नहीं मिलेगा।

धीरूभाई ने रुके नहीं, हालांकि यह एक बड़ी कार्रवाई थी। वे पूरे देश में घूमकर खुद रिटेलर्स से मिले। “अगर नुकसान हुआ तो मेरा, फायदा हुआ तो तुम्हारा”, उन्होंने हर व्यापारी को विश्वास दिलाया।”

यह सुनकर सभी रिटेलर्स खुश हो गए। वे धीरूभाई पर भरोसा करने लगे और “विमल” कपड़े खरीदने लगे।

सफलता का तूफान

“विमल” नाम धीरे-धीरे लोकप्रिय होने लगा। यह कपड़ा इतना अच्छा था कि लोग इसे बार-बार खरीदते थे। दुकानों पर “विमल” पहली पसंद बन गया।

एक दिन ऐसा आया कि पूरे भारत में 100 विमल शोरूम्स एक साथ खोले गए। भारतीय टेक्सटाइल इतिहास में यह एक अनूठा क्षण था।

“विमल” उस समय सर्वश्रेष्ठ पॉलिएस्टर ब्रांड था। धीरूभाई अंबानी को रिलायंस इंडस्ट्रीज की अगुवाई करने का साहस इसी सफलता से मिला।

क्रिकेट में “ओनली विमल”

“ओनली विमल” 1980 और 1990 के दशक में एक आइकॉनिक ब्रांड बन गया था। 1987 के क्रिकेट विश्व कप में भी इसका नाम चर्चा में रहा।

एलन बॉर्डर और विवियन रिचर्ड्स ने उस टूर्नामेंट में “विमल” सूट पहना था। हर जगह सिर्फ एक शब्द सुनाई देता था: “ओनली विमल।””

इस अभियान ने भारतीय टेक्सटाइल उद्योग को एक नई दिशा दी और ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी।

विमल अंबानी कौन हैं?

धीरूभाई अंबानी के बड़े भाई रामनिकालाल अंबानी के इकलौते बेटे विमल अंबानी हैं। परिवार का सम्मान और अपनापन ब्रांड का नाम “विमल” बनाया।

रिलायंस के संस्थापकों में से एक खुद रामनिकालाल अंबानी थे। अहमदाबाद के नरोदा में टेक्सटाइल फैक्ट्री की स्थापना में वे महत्वपूर्ण थे। वे लंबे समय तक रिलायंस बोर्ड में रहे और गुजरात की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया। 95 वर्ष की उम्र में 28 जुलाई 2020 को वह मर गया।

विमल अंबानी फिलहाल क्या कर रहे हैं?

हमेशा से, विमल अंबानी लो-प्रोफाइल जीवन जीना पसंद करते हैं। वे रिलायंस इंडस्ट्रीज के दैनिक कार्यों में भाग नहीं लेते हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, वे अहमदाबाद में रहते हैं और एक कंपनी के सीईओ हैं जिसका नाम टावर ओवरसीज लिमिटेड है। यह कंपनी साइनबोर्ड उद्योग के लिए यूवी और सॉल्वेंट स्याही बनाती है।

वे निजी व्यापार और सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लेते हैं, लेकिन लोगों से दूर रहते हैं।

“विमल” ब्रांड अब पहले की तरह सक्रिय नहीं है, लेकिन आज भी भारतीय उद्योग के इतिहास में उसका नाम सम्मानपूर्वक लिया जाता है।

ब्रांड का प्रभाव और पहचान

“ओनली विमल” शब्द का अर्थ सिर्फ कपड़े नहीं था। यह भारत की आधुनिक सोच, मेहनत और तकनीक का प्रतीक था।

धीरूभाई का लक्ष्य था कि भारतीय कपड़ा वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो जाए। उनके उत्पादों ने फैब्रिक की गुणवत्ता, डिजाइन और ब्रांडिंग को एक साथ मिलाकर भारतीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में सफलता हासिल की।

“विमल सूटिंग” का नाम आज भी बुजुर्गों को याद आता है। यह एक युग नहीं था, बल्कि एक ब्रांड था।

सोशल मीडिया पर मौजूदगी और उपस्थिति

विमल अंबानी हालांकि सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय नहीं हैं। उनके नाम पर कोई आधिकारिक पेज या प्रोफाइल नहीं है। वे मीडिया इंटरव्यू या लाइमलाइट से बचते हैं।

लेकिन अब भी सोशल मीडिया पर “ओनली विमल” ब्रांड से जुड़ी पुरानी तस्वीरें और विज्ञापन पोस्ट किए जाते हैं। लोगों को यह ब्रांड बचपन और युवावस्था की याद दिलाता है।

आज भी, ब्रांड के टीवी विज्ञापन और जिंगल को मार्केटिंग क्षेत्र में एक केस स्टडी माना जाता है—किस तरह एक छोटे से नाम ने देश भर में लोकप्रियता हासिल की।

विरासत और नेटवर्थ

विमल अंबानी की व्यक्तिगत संपत्ति के आंकड़े आम जनता को नहीं मिलते। लेकिन उनकी पारिवारिक विरासत और निवेशों के कारण वे अमीर हैं।

धीरूभाई अंबानी ने आज भी रिलायंस को बल दिया है। यद्यपि विमल अंबानी एक कॉर्पोरेट व्यक्ति नहीं हैं, उनके नाम से बना ब्रांड भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

उत्कर्ष

“ओनली विमल” सिर्फ एक ब्रांड नहीं था; यह सफलता, सपनों और साहस की कहानी थी। यह विचार था जो कहता है, “डरना नहीं, करना है।””

देश भर में धीरूभाई अंबानी परिवार का नाम प्रसिद्ध हुआ। हालाँकि विमल अंबानी ने अपनी पहचान खो दी है, लेकिन आज भी उनका नाम भारतीय उद्योग में एक सुनहरे अध्याय के रूप में याद किया जाता है।

लाखों युवा उद्यमियों ने “ओनली विमल” की शुरुआत से सीखा है कि सफलता उसी की होती है जो भरोसा जीतता है, हार नहीं बल्कि मेहनत का साथी बनता है।

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