भारत ने अपनी घरेलू उद्योग को चीनी स्टील से बचाने के लिए बहुत कुछ किया है। सरकार ने अगले तीन वर्षों के लिए कुछ स्टील उत्पादों पर नए आयात कर लगाने की घोषणा की है। आने वाले वर्षों में यह कर 12 प्रतिशत कम हो जाएगा।
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर यह निर्णय लिया है। सरकार का कहना है कि सस्ते और कम गुणवत्ता वाले स्टील के आयात से देश के उद्यमों और कर्मचारियों को नुकसान हुआ है।
यह निर्णय क्यों लिया गया?
व्यापार संघों और मंत्रालयों ने पहले से ही चेतावनी दी थी कि चीन और वियतनाम से आने वाला सस्ता स्टील भारतीय बाजार में बहुत तेजी से आ रहा है।
देश की अपनी फैक्ट्रियों की बिक्री और मुनाफा इससे प्रभावित हुआ।
परीक्षण के बाद, Directorate General of Trade Remedies (DGTR) ने पाया कि स्थानीय उद्योग पर अचानक बढ़े आयात ने संकट पैदा किया है।
इसके बाद उन्होंने सरकार को तीन साल का सुरक्षा कर लगाने की सलाह दी।
टैक्स की पूरी व्यवस्था
- सरकार ने एक तीन वर्षीय चरणबद्ध टैक्स प्रणाली बनाई है:
- पहले वर्ष 12 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा।
- दूसरे वर्ष इसमें थोड़ी कमी होगी और 11.5 प्रतिशत रहेगी।
- तीसरे वर्ष टैक्स घटकर 11 प्रतिशत होगा।
इस टैक्स का उद्देश्य घरेलू बाजार को स्थिर बनाना और सस्ता स्टील आने से रोकना है। लेकिन यह टैक्स सभी देशों पर लागू नहीं होगा।
नया टैक्स किन देशों पर लागू होगा?
चीन, वियतनाम और नेपाल से आयातित स्टील पर नया कानून लागू होगा।
लेकिन इस टैक्स से कुछ विकासशील देशों को छूट दी गई है।
विशेष प्रकार के उत्पादों, जैसे स्टेनलेस स्टील, पर टैक्स नहीं लगेगा।
इसका अर्थ है कि केवल साधारण स्टील उत्पादों पर कर लगाया जाएगा।
ओडिशा को बहुत लाभ मिलेगा
ओडिशा भारत का बड़ा स्टील उत्पादक है।
इस निर्णय से कलिंग नगर (Kalinga Nagar) और राउरकेला स्टील प्लांट (Rourkela Steel Plant) जैसे बड़े औद्योगिक केंद्रों को खास फायदा होगा।
स्थानीय कारखानों को अब विदेशी सस्ते स्टील से इतना कठिन मुकाबला नहीं करना पड़ेगा।
इससे छोटे-छोटे उत्पादकों को राहत मिलेगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
ओडिशा का नाम है “स्टील हार्टलैंड”।
यहाँ, स्टील उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
इसलिए सरकार का यह कदम भी राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।
सस्ते स्टील की क्षति क्या है?
स्थानीय स्टील कंपनियों की बिक्री कम होती है जब कम गुणवत्ता और सस्ता विदेशी स्टील भारत में आता है।
भारत की उच्च लागत वाली कंपनियां विदेशी मूल्यों से मुकाबला नहीं कर सकतीं।
इससे घरेलू फैक्ट्रियों को नुकसान होता है।
इससे कई छोटे स्टील उत्पादक भी बंद हो जाते हैं।
न केवल उद्यमियों, बल्कि लाखों कर्मचारियों की नौकरी भी इससे प्रभावित होती है।
ऐसा टैक्स पहले भी लगाया गया था?
हाँ, इसी साल अप्रैल में सरकार ने 200 दिनों के लिए अस्थायी 12 प्रतिशत टैक्स लगाया था।
उसकी अवधि अस्थायी थी, लेकिन नवंबर में समाप्त हो गई।
बाद में विभिन्न उद्योग संघों ने सरकार से स्थायी समाधान की मांग की।
विभिन्न संघों, जिसमें Indian Stainless Steel Development Association (ISSDA) शामिल है, ने दीर्घकालीन नीति बनाने की मांग की।
तीन साल का नवीनतम टैक्स अब लागू हुआ है, जो उसी दिशा में एक ठोस कदम है।
वैश्विक परिस्थितियां और अमेरिकी प्रभाव
भारत ने वैश्विक स्तर पर चल रहे व्यापारिक संघर्ष के बीच यह कदम उठाया है।
कुछ समय पहले, अमेरिका ने चीन से स्टील आयात पर भारी टैक्स लगाया था।
चीनी कंपनियों ने फिर से नए बाजार खोजने शुरू किए।
चीनी स्टील का निर्यात दक्षिण कोरिया, वियतनाम और भारत में तेजी से बढ़ा।
भारत ने अब सुरक्षा दीवार बनाने का निर्णय लिया है।
घरेलू उद्योग को नया साहस मिलेगा
भारत के घरेलू स्टील उत्पादकों को इस फैसले से नई ऊर्जा मिलेगी।
लंबे समय से मूल्य असंतुलन और सस्ते विदेशी सामान से जूझ रहे हैं।
अब उनके प्रतिस्पर्धी परिस्थितियां कुछ समान होंगी।
वे बेहतर गुणवत्ता पर ध्यान दे सकेंगे और नए काम बना सकेंगे।
सरकार ने कहा कि इस निर्णय से ‘मेड इन इंडिया’ अभियान का लक्ष्य भी पूरा होगा।
मुख्य लक्ष्य है देश में स्टील उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की राय
अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मत है कि भारत का यह कदम वैश्विक बाजार में सुरक्षा की एक रणनीति है।
भारत आने वाले वर्षों में विश्व स्टील व्यापार का बड़ा खिलाड़ी बनने के लिए अपने निर्माण क्षेत्र को मजबूत करना चाहता है।
हालाँकि, कुछ अर्थशास्त्री मानते हैं कि इस टैक्स से निर्माण कार्यों की लागत थोड़ी बढ़ सकती है।
सरकार कहती है कि यह मूल्य वृद्धि अस्थायी होगी और देश को लंबे समय में फायदा होगा।
घरेलू बाजार पर प्रभाव
भारत में इमारतों, पुलों, वाहनों और मशीनों में स्टील का उपयोग होता है।
स्थानीय कंपनियों की बिक्री बढ़ेगी अगर सस्ता विदेशी माल पर रोक लगती है।
इससे निवेश और इन उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यह टैक्स भारतीय स्टील उद्योग को फिर से हिला देगा।
व्यापार क्षेत्र की प्रतिक्रिया
सरकारी निर्णय को टाटा स्टील, JSW स्टील और सेल (SAIL) जैसे बड़े स्टील उत्पादकों ने स्वागत किया है।
उनका कहना है कि यह नीति देश को लंबे समय में लाभ देगी।
थोड़े-से छोटे निर्माता भी खुश हैं कि अब विदेशी दिग्गजों से कुछ राहत मिलेगी।
वे निवेशकों का भरोसा बढ़ा सकेंगे और अपनी उत्पादन नीतियों को स्थिर रख सकेंगे।
सरकार की दीर्घकालिक योजना
सरकार भारत को आने वाले वर्षों में एक वैश्विक स्टील हब बनाने की कोशिश कर रही है।
यह नीति घरेलू उद्योग को बढ़ावा देगी, तकनीक में सुधार करेगी और पर्यावरण अनुकूल उत्पाद बनाएगी।
नए करों का कम से कम तीन प्रभाव होगा:
- ग्रामीण उत्पादन बढ़ेगा।
- अंतरराष्ट्रीय सस्ते सामान पर निर्भरता कम होगी।
- देश में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
आम जनता पर इसका क्या असर होगा?
आम ग्राहक इससे बहुत प्रभावित नहीं होंगे।
निर्माण कार्यों की लागत थोड़ी बढ़ सकती है, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था इससे लाभान्वित होगी।
भारत की फैक्ट्रियाँ मजबूत होंगी, रोजगार मिलेगा और स्थानीय तकनीक विकसित होगी।
इससे “आत्मनिर्भर भारत” का सपना और भी निकट होगा।
उत्कर्ष
भारत सरकार का यह निर्णय सिर्फ एक ट्रेड पॉलिसी नहीं है, बल्कि घरेलू उद्योग में विश्वास का प्रतीक है।
भारत ने भी अपनी दीवार मजबूत की है, जैसे अमेरिका ने अपने उद्योगों को बचाया।
भारत के स्टील उद्योग के लिए आने वाले तीन साल महत्वपूर्ण होंगे।
यह नीति सफल होने पर भारत जल्द ही एशिया का सबसे मजबूत और स्वतंत्र स्टील निर्माता बन सकता है।